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Jute for Life - 11 Feb 2019
कभी 1700 रु की करती थी जॉब, आज खुद की कंपनी का टर्नओवर 1 करोड़
यूपी के राजधानी की रहने वाली अंजली सिंह को हाल ही में (29 अप्रैल) आउटस्टैंडिंग वुमेन इंटरप्रेन्योर के लिए फिक्की फ्लो अवार्ड से समानित किया गया।
लखनऊ. यूपी की राजधानी की रहने वाली अंजली सिंह को हाल ही में (29 अप्रैल) आउटस्टैंडिंग वुमन एंटरप्रेन्योर के लिए फिक्की फ्लो अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। कभी सिर्फ 1700 रुपए की नौकरी करने वाली अंजलि आज हर महीने 8 से 10 लाख का बिजनेस करती हैं। इनकी खुद की कंपनी है, जिसका सलाना टर्न ओवर 1 करोड़ रुपए तक है। DainikBhaskar.com से बातचीत में अंजलि सिंह ने अपनी सक्सेस स्टोरी शेयर की।
खानदान में अकेली लड़की होने की वजह से फैमिली ने नहीं भेजा बाहर
- अंजली सिंह (38) कहती हैं, ''मैं एक मिडल क्लास फैमिली से हूं। मेरा सपना था एयर हॉस्टेस बनूं, लेकिन खानदान में इकलौती लड़की होने के चलते घरवालों ने अपने से दूर बाहर पढ़ने के लिए नहीं जाने दिया। लखनऊ यूनिवर्सिटी से MBA किया।''
- ''2001 में MBA कम्प्लीट करने के बाद लखनऊ के शिवगढ़ रिजॉर्ट में चेन मार्केटिंग की पोस्ट पर नौकरी मिल गई। वहां पहली सैलरी के तौर पर मुझे 1700 रुपए महीना मिला था। कुछ महीने बाद मैंने वो जॉब छोड़ दी।''
- ''2001 में ही ICFAI यूनिवर्सिटी की लखनऊ ब्रांच में काउंसलर की पोस्ट पर ज्वाइन किया, वहां 4 हजार रुपए सैलरी मिली। 2009 में प्रमोशन हुआ और उसी कंपनी में मैं मार्केटिंग मैनेजर बन गई। उस टाइम मेरी सैलरी 20 हजार थी।''
- ''2001 में ही मैंने मार्केटिंग मैनेजर की जॉब भी छोड़ दी और खुद का बिजेनस शुरू का सोची। पापा बैंक ऑफ इंडिया में जॉब करते थे, उन्होंने वीआरएस लेकर 1995 में भारतीय सेवा संस्थान नाम से एक एनजीओ शुरू किया था। पापा को नेशनल जूट बोर्ड मिनिस्टरी ऑफ टेक्सटाइल गवर्मेंट ऑफ इंडिया से जूट से डिफरेंट टाइप के आइटम बनाने का प्रोजेक्ट मिला था।''
- ''साल 2009 में मैंने पापा के एनजीओ में काम करने वाली शबनम को अपने साथ लेकर जूट के बैग्स और दूसरे आइटम्स बनाने का काम शुरू किया। धीरे-धीरे 25 से 30 महिलाएं साथ जुड़ गईं। कंपनी शुरू करने के लिए सरकारी बैंक से 15 लाख रुपए लोन भी लिया।''
- ''2017 में मैंने भारतीय सेवा संस्थान एनजीओ को जुटआरटीशियन्स गिल्ड प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के तौर पर रजिस्टर्ड कराया। आज मेरी कंपनी की लखनऊ में ही 4 ब्रांच हैं, जिसमें 200 से ज्यादा महिलाएं काम करती हैं। कंपनी का सलाना टर्नओवर 1 करोड़ से ऊपर है।
''पति ने अपनी जॉब छोड़ कंपनी में दिया साथ
- अंजली बताती हैं, ''मेरी शादी 2006 में बनारस के रहने वाले शैलेन्द्र सिंह से हुई थी। पति उस समय दिल्ली बेस्ड कंपनी के बिजनेस स्कूल में वाइस प्रेसिडेंट थे। शादी के कुछ साल के बाद उन्होंने जॉब छोड़ दी और मेरे साथ कंपनी में हाथ बंटाने लगे।''
- ''हमारे 2 बच्चे हैं। घर में सास-ससुर हैं। सभी काम में सहयोग करते हैं।''